वाराणसी. आज हम आपको एक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे हैदराबाद का बच्चा पीड़ित है. इस बीमारी का नाम स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) है. इसके लिए तीन वर्षीय आयांश को 16 करोड़ रुपये के इंजेक्शन लगने थे. इसके लिए बच्चे के माता-पिता रूबल और योगेश ने क्राउड फंडिंग के जरिए इंजेक्शन की रकम जुटाई. इसमें विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, अजय देवगन, अनिल कपूर समेत देश की कई बड़ी हस्तियों ने भी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया.
बताया जा रहा है कि पैसे जुटाने के लिए आयांश के पिता तकनीकी विशेषज्ञ और मां क्राउडफंडिंग में जुड़ गए. माता-पिता की कड़ी मेहनत की वजह से आयांश को बीते 9 जून को वह इंजेक्शन लग पाया. रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ने दुर्लभ जीन थेरेपी का ऑपरेशन किया और तीन साल पुराने एसएमए केस का इलाज किया और दुनिया की सबसे महंगी दवा जोल्गेन्स्मा (ZOLGENSMA) का इस्तेमाल किया गया.
क्राउडफंडिंग के लिए इंपैक्ट गुरु डॉट कॉम का प्रयोग किया गया, जिससे एक अच्छे अमाउंट को इकट्ठा किया गया. अयांश के लिए इम्पैक्टगुरु फंडरेजर ने 62,450 से अधिक दाताओं से मिली सहयोग राशि की जरिए 14.84 करोड़ रुपये प्राप्त किए. इस क्राउडफंडिंग अभियान के तहत एकल उच्चतम दान 56 लाख रुपये का रहा. साथ ही साथ केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 6 करोड़ का टैक्स भी माफ किया गया. रेनबो हॉस्पिटल ने आयांश के माता-पिता की इस दृढ़ विश्वास और अपने बच्चे को मौत के मुंह से बचाने के लिए उनके इस मेहनत की प्रशंसा और सहारना की है.
योगदान देने वालों में विराट कोहली, अजय देवगन, अनिल कपूर, अनुष्का शर्मा, श्रद्धा कपूर, आलिया भट्ट, राजकुमार राव, कार्तिक आर्यन, सारा अली खान, अर्जुन कपूर, अनुराग बसु के अलावा आर अश्विन, वाशिंगटन सुंदर, दिनेश कार्तिक जैसी बड़ी हस्तियों शामिल रहे.
ZOLGENSMA दुनिया की सबसे महंगी दवा है, जो वर्तमान में भारत में उपलब्ध नहीं है. इसे USA से 2,125,000 अमेरिकी डॉलर (16 करोड़ रुपये) में आयात किया गया. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक प्रोग्रेसिव न्यूरोमस्कुलर बीमारी है, जो SMN1 जीन में दोष के कारण होती है. प्रभावित बच्चे में शुरू में ऊपरी और निचले अंगों की मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है, और समय के साथ उसे सांस लेने में कठिनाई और निगलने में भी कठिनाई होती है.
ZOLGENSMA एक सिंगल डोज इंटरावेनस इंजेक्शन जीन थेरेपी है, जिसमें खराब SMN1 जीन को एडेनोवायरल वेक्टर के माध्यम से बदल दिया जाता है. SMA आमतौर पर 10,000 बच्चों में से किसी 1 को प्रभावित करता है और वर्तमान में भारत में लगभग 800 बच्चे इससे पीड़ित हैं. उन बच्चों के दूसरे जन्मदिन तक 3 गुना से ज्यादा अधिक बच्चे इस बीमारी से मौत का शिकार हो जाते हैं.