वाराणसी: टोक्यो पैरालिंपिक्स में क्लास 4 टेबल टेनिस के फाइनल में अपनी जगह पक्की कर नी महिला टेबल टेनिस की खिलाड़ी भाविना पटेल ने इतिहास रच दिया है. भाविना ऐसी करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं.
भाविना ने ये कामयाबी सेमीफाइनल में चीन की पैडलर झांग मियाओ को हरा कर हासिल किया है.
34 मिनट तक चले इस मुकाबले में 34 वर्षीय भाविना पटेल ने विश्व की नंबर-3 चीनी प्रतिद्वंद्वी को 7-11, 11-7, 11-4, 9-11 और 11-8 से हराया. भाविना रविवार को दुनिया की नंबर वन खिलाड़ी चीन की यिंग झोउ से मुकाबला करें.
1 वर्ष की कम आयु में ही हो गया था पोलियो
6 नवंबर 1986 में गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर के एक छोटे से गांव में जन्मीं भाविना जब केवल एक साल की थी तो उन्हें पोलिया हो गया था. उस समय भाविना के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि बेटी का इलाज करवा सके. हालांकि जब वो चौथे ग्रेड में पहुंचीं तो उनके पिता ने विशाखापट्टनम में सर्जरी करवाई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. मध्यमवर्गीय परिवार से तालुक रखने वाली भाविना को फिर अपनी पूरी जिन्दगी के लिए व्हीलचेयर को अपनाना पड़ा. इसी संघर्ष के साथ भाविना ने अपने गांव में 12वीं तक की पढ़ाई की है. उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से स्नातक की डिग्री भी हासिल की है.
टेबल टेनिस शौक के तौर पर खेलना शुरू किया
भाविना ने शौक के तौर पर टेबिल टेनिस खेलना शुरू किया था. दरअसल भाविना ने खुद को फिट रखने के लिए टेबल टेनिस खेलना शुरू किया था. इसके बाद साल 2014 में भाविना के पिता ने उन्हें अहमदाबाद में दृष्टिहीन लोगों के लिए बनाए गए एक संगठन में ले गए, जहां से भाविना के टेबल टेनिस के करियर की शुरूआत हुई, फिर उन्होंने अपने इस शौक को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया. यहां से भाविना को यह संगठन आर्थिक तौर पर मदद करने लगा.
इस तरह मिली सफलता
पेशेवर टेबल टेनिस के तौर पर खेलने के 3 साल के बाद बैंगलोर में पैरा टेबल टेनिस में इन्होनें अपना पहला गोल्ड पदक जीताने के बाद भाविना ने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी. 2011 पीटीटी थाईलैंड टेबल टेनिस चैंपियनशिप जीतने के बाद उनकी वर्ल्ड रैंकिंग नंबर दो पर पहुंच गई थी. अक्टूबर 2013 में बिजिंग एशियन पैरा टेबल टेनिस चैंपियनशिप में उन्होंने महिलाओं के सिंगल क्लास 4 इवेंट में सिल्वर मेडल जीत कर कमाल कर दिखाया था. भाविना ने एक के बाद एक शानदार प्रदर्शन कर हर जगह मेडल जीतने में सफल रही हैं. 2018 में एशियाई पैरा खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता तो वहीं 2019 में बैंकाक में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय एकल गोल्ड मेडल जीतने में भाविना सफल रही हैं. साल 2011 से अपने मेहनत और दुर्बलता को भुलाकर भाविना ने 2020 के टोक्यो पैरालिंपिक में शामिल होने में सफल रहीं, और यहां पर उन्होंने इतिहास भी रच दिया है.
जीत पर क्या बोलीं भाविना
1 साल की उम्र में पोलियो की शिकार हुई भाविना पटेल ने कहा ,‘‘ जब मैं यहां आई तो मैने सिर्फ अपना शत प्रतिशत देने के बारे में सोचा था. अगर ऐसा कर सकी तो पदक अपने आप मिलेगा. मैने यही सोचा था
उन्होंने कहा ,‘‘ अगर मैं इसी आत्मविश्वास से अपने देशवासियों के आशीर्वाद के साथ खेलती रही तो कल स्वर्ण जरूर मिलेगा. मैं फाइनल के लिये तैयार हूं और अपना शत प्रतिशत दूंगी.