पैरालंपिक: टोक्यो में हो रहे पैरालंपिक मैं जैवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल ने सोमवार को फाइनल मुकाबले में स्वर्ण पदक हासिल किया है. भारतवासियों के लिए यह बहुत गर्व का समय है. उन्होंने जैकलिन को 68.55 मीटर दूर फेंक पर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया.
सुमित का जन्म 7 जून 1998 को सोनीपत हरियाणा में हुआ था. सुमित के पिता राजकुमार एयरफोर्स में तैनात थे. जब सुमित 7 वर्ष के थे, तब उन्होंने किसी बीमारी में अपने पिता को खो दिया था. पिता के गुजर जाने के बाद सुमित की मां निर्मला ने चारों बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया.
सुमित की मां निर्मला देवी ने बताया कि जब सुमित 12वीं कक्षा में कॉमर्स का ट्यूशन लेने जाता था तब 5 जनवरी 2015 की शाम एक ट्रॉली ट्रक ने सुमित को टक्कर मार दी सुमित और उसकी वाइक को काफी दूर तक ट्रक ने घसीटा, जिसकी वजह से सुमित ने अपना एक पैर गवा दिया.
इतने बड़े हादसे के बाद भी सुमित ने हिम्मत नहीं हारी. दोस्त व रिश्तेदारों के सपोर्ट से सुमित ने स्पोर्ट्स की तरफ ध्यान दिया और साईं सेंटर गया. जहां उसे एशियन रजत पदक विजेता वीरेंद्र धनखड़ मिले. वीरेंद्र धनखड़ उसे दिल्ली ले गए जहां द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच नवल सिंह ने उसे जैवलिन थ्रो की शिक्षा दी.
2018 में सुमित ने एशियन चैंपियनशिप में भाग लिया जिसमें वह पांचवें स्थान पर आए. फिर 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीता और इस वर्ष टोक्यो पैरालंपिक मैं उन्होंने खुद को साबित कर स्वर्ण पदक जीता.