वाराणसी: भारत में होली का त्योहार बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. बताया जाता है कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता हैै और इस बार 18 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा. उसके ठीक एक दिन पहले यानी की 17 मार्च को होलिका दहन मनाया जाएगा. होलिका दहन की पूजा की परंपरा है, जो इस महीने की पूर्णिमा तिथि को संपन्न की जाती है. बहुत कम लोगों को पता होगा कि होलिका दहन वाले दिन होलिका जलाने की रीति है. होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा की जाती है और इस दिन किए गए कुछ खास नियम भी है जो हिंदू धर्म में माने जाते हैं. कुछ बातों का ध्यान रखा जाता.
शुभ मुहूर्त में करें होलिका की पूजा
बताया जाता है कि होलिका की पूजा शुभ-मुहूर्त में करनी चाहिए और पूजा के दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए. इस साल होलिका की पूजा करने और दहन करने का शुभ मुहूर्त 17 मार्च 2022 की रात 09:06 बजे से 10:16 मिनट तक रहेगा.
नवविवाहिता को जलती हुई होलिका देखने की मनाही
होलिका दहन की पूजा करना और इस पूजा में शामिल होना काफी शुभ माना जाता है. धर्म शास्त्रों में कुछ खास लोगों को होलिका की अग्नि देखने की मनाही होती है. ये मनाही नवविवाहित लड़कियों के लिए है. धार्मिक ग्रंथों में कहा जाता है कि होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है. यानी कि आप अपने पुराने साल के शरीर को जला रहे हैं. इसलिए नवविवाहित महिलाओं को होली कि आग देखना मना होता है. इसे देखना शुभ नहीं माना जाता है, इससे उनके वैवाहिक जीवन में परेशानी ला सकती है.
गर्भवती महिला या प्रसूता महिला न देखें होली की अग्नि
गर्भवती महिलाओं को होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए और न ही होली की अग्नि को देखना चाहिए. ऐसा करना गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है.
अग्नि में आहुति देने से जीवन की नकारात्मकता होती है समाप्त
ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि में आहुति देने से जीवन की नकारात्मकता समाप्त होती है. इसके साथ ही परिवार में सुख समृद्धि भी बनी रहती है.