• About Us
  • Contact Us
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Friday, May 27, 2022, 4:37 AM
News World Digital
  • Home
  • Bharat
  • Covid-19
  • Crime
  • Entertainment
  • Sports
  • Science & Tech.
  • Business
  • International
  • धर्म
  • Other
    • Educational
    • Health & Tips
    • जरा हटकें
    • Trending
    • Videos
No Result
View All Result
  • Home
  • Bharat
  • Covid-19
  • Crime
  • Entertainment
  • Sports
  • Science & Tech.
  • Business
  • International
  • धर्म
  • Other
    • Educational
    • Health & Tips
    • जरा हटकें
    • Trending
    • Videos
No Result
View All Result
News World Digital
No Result
View All Result
  • Home
  • Bharat
  • Covid-19
  • Crime
  • Entertainment
  • Sports
  • Science & Tech.
  • Business
  • International
  • Educational
  • जरा हटकें
  • Health & Tips
  • धर्म
  • Trending
  • Videos
Home जरा हटकें

George Fernandes: मजदूर नेता से देश के शीर्ष नेता बनने तक का सफर

Kishan Gupta by Kishan Gupta
3 June 21, 12:34 AM
in जरा हटकें
0
SHARES
30
VIEWS
George Fernandes: मजदूर नेता से देश के शीर्ष नेता बनने तक का सफर

वाराणसी. आज हम उस शख्सियत के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. हम बात कर रहे है, जॉर्ज फर्नांडिस की, जो एक पत्रकार के साथ-साथ एक जाने-माने नेता भी रहे. उनका जन्म आज के ही दिन यानी 3 जून 1930 को मैंगलोर के मैंग्‍लोरिन-कैथोलिक परिवार में जॉन जोसेफ फर्नांडीस के घर हुआ. उनकी मां किंग जॉर्ज 5th की बड़ी प्रशंसक थीं. उन्हीं के नाम पर अपने छह बच्चों में से सबसे बड़े बेटे का नाम उन्होंने जॉर्ज रखा.

जॉर्ज अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और परिवार के सदस्य इन्हें ‘गैरी’ कहकर बुलाते थे. इनकी प्रारंभिक शिक्षा मैंगलोर के एक स्कूल से हुई. इसके बाद सेंट अल्‍योसिस कॉलेज (मैंगलोर) से अपनी 12वीं कक्षा पूरी की. जानकारी के मुताबिक, जॉर्ज हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, मराठी, कन्नड़, उर्दू, मलयाली और कोंकणी भाषाओं के जानकार थे.

घर के पारंपरिक रिवाज के कारण जॉर्ज को 16 वर्ष की आयु में बैंगलोर के सेंट पीटर सेमिनरी में धार्मिक शिक्षा के लिए भेजा गया, लेकिन वहां उनका मन नहीं लगा. इसके बाद वे महज 19 वर्ष की आयु (1949) में रोजगार की तलाश में मुंबई आ गए. मुंबई में जॉर्ज का जीवन काफी मुश्किलों भरा रहा.
एक समाचार पत्र में प्रूफरीडर की नौकरी मिलने से पहले वे मुंबई के फुटपाथ पर रहा करते थे और चौपाटी स्‍टैंड की बेंच पर सोया करते थे. लेकिन रात में ही एक पुलिसवाला आकर उन्‍हें उठा देता था, जिसके कारण उन्‍हें जमीन पर सोना पड़ता था.

इस बीच 1950 में वे सामाजिक कार्यकर्ता राममनोहर लोहिया के करीब आए और उनके जीवन से प्रभावित होकर सोशलिस्‍ट ट्रेड यूनियन के आंदोलन में शामिल हो गए. इस दौरान उन्होंने कम पैसे में काम करने वाले मजदूरों के लिए आवाज उठाई, जिसके कारण उनकी छवि एक विद्रोही नेता के रूप में उभर कर सामने आई. 50-60 दशक उन्होंने कई श्रमिक आंदोलनों का नेतृत्व भी किया.

लगातार आंदोलनों के कारण वे राजनेताओं की नजर में आ गए थे. इसके चलते 1967 में पहली बार संयुक्‍त सोशिलिस्ट पार्टी की ओर से उन्हें मुंबई दक्षिण की सीट से लोकसभा का टिकट दिया गया, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद 1969 में जॉर्ज संयुक्‍त सोशिलिस्ट पार्टी के महासचिव चुने गए और 1973 में पार्टी के चेयरमैन बने.

इसके बाद ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन का अध्‍यक्ष बनने के बाद उन्होंने भारतीय रेलवे के खिलाफ 8 मई 1974 में एक बहुत बड़े आंदोलन की शुरूआत की. दरअसल, तब तक तीन वेतन आयोग लागू किए जा चुके थे, लेकिन रेलवे कर्मचारियों के वेतन में कुछ खास बढ़ोतरी नहीं की गई थी, जिसके चलते ही इस आंदोलन की शुरूआत की गई थी.

इस हड़ताल के बाद जैसे मुंबई थम सी गई थी, इसमें करीब 15 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था. इस हड़ताल इतना बड़ा रूप ले लिया था, कि इसे रोकने के लिए सरकार को सेना तैनात करनी पड़ी थी. इस हड़ताल में देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से आए रेलवे कर्मचारियों के साथ-साथ टैक्‍सी चालकों व फैक्ट्री श्रमिकों ने भी हिस्सा लिया था.

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, हड़ताल रोकने के लिए करीब 30 हजार मजदूरों को जेल में डाल दिया गया था. इसके बाद 27 मई 1974 को इस हड़ताल को खत्‍म कर दिया गया. फिर 1975 में इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी.

जॉर्ज ने भी दूसरों की तरह इसका विरोध किया और उनके खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया, जिससे बचने के लिए वे अंडरग्राउंड हो गए. लेकिन पुलिस ने उनके भाई को गिरफ्तार कर उन्‍हें आत्‍मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया और वे 10 जून 1976 को कलकत्ता से गिरफ्तार कर लिए गए. इनके गिरफ्तार होने के बाद एमनेस्‍टी इंटरनेशनल मेंबर ने सरकार से अनुरोध किया कि इन्‍हें तुरंत एक वकील दिया जाए और इनकी जान की गारंटी ली जाए.

विश्‍व के तीन देश जर्मनी, नॉर्वे और ऑस्‍ट्रेलिया के नेताओं का मानना था कि इंदिरा गांधी जॉर्ज को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसके बाद जॉर्ज को वडोदरा जेल से तिहाड़ जेल लाया गया और इनके ऊपर कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई. 21 मार्च 1977 को आपातकाल खत्‍म हुआ और इंदिरा गांधी सहित कांग्रेस पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

इसके बाद मोरारजी देसाई के नेतृत्‍व में जनता पार्टी ने चुनाव जीता. वहीं, जेल में रहते हुए जॉर्ज फर्नांडीस बिहार के मुजफ्फरपुर से चुनाव जीत गए और जनता पार्टी की सरकार में उद्योग मंत्री बने. इसी दौरान दो अंतरराष्‍ट्रीय कंपनियों आईबीएम और कोका कोला द्वारा फेरा लागू करने को लेकर विवाद हो गया. दरअसल, फेरा के अंदर विदेशी कंपनियां 40 फीसदी से ज्‍यादा शेयर भारत को देने को तैयार नहीं थीं और दो कंपनियां तो अपनी सेवाएं भारत में बंद करने का निर्णय ले चुकी थीं. वहीं, फर्नांडीस उनसे फेरा के शेयर बढ़ाने की मांग कर रहे थे.

इसके बाद 1980 में जॉर्ज ने मुजफ्फरपुर से फिर से चुनाव जीता. लेकिन 1984 में बेंगलौर नॉर्थ से उन्होंने चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 1989 से फिर उन्होंने पुरानी सीट मुजफ्फरपुर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की और जनता पार्टी में शामिल हो गए. इस बीच वीपी सिंह की सरकार में उन्हें रेल मंत्री बनाया गया.

इसी दौरान मैंगलोर और मुंबई को जोड़ने के लिए कोंकण रेलवे प्रोजेक्‍ट शुरू किया गया. यह प्रोजेक्‍ट भारतीय स्‍वतंत्रता के बाद से रेलवे के विकास के लिए पहला प्रोजेक्‍ट था. इसके बाद 1988 में जनता पार्टी पूरी तरह से सत्ता में आई और NDA का गठन हुआ और जॉर्ज को इसका संयोजक बनाया गया.

इसके बाद 1994 में जनता पार्टी छोड़ समता पार्टी का गठन किया. फिर 1999 में जनता पार्टी दो भागों- जनता दल यूनाटेड और जनता दल सेक्युलर में बंट गई. जॉर्ज जदयू के साथ हो गए और अपनी समता पार्टी को भी इसी में मिला दिया. जॉर्ज NDA की सरकार में दोनों बार रक्षामंत्री बने.

जॉर्ज के रक्षामंत्री रहते हुए भारतीय सेना द्वारा ‘ऑपरेशन विजय’ को अंजाम दिया गया था. इसके बाद 2001 में तहलका रक्षा घोटाले के बाद जॉर्ज ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया, लेकिन बाद में उन्हें फिर से रक्षामंत्री बनाया गया. इसी बीच कारगिल युद्ध और पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया था. जॉर्ज फर्नांडीस पहले ऐसे रक्षामंत्री हैं, जिनके कार्यालय में हिरोशिमा बमबारी का चित्र था. वे 18 बार कश्‍मीर के सियाचिन गए, जो पूरे विश्‍व में एक रिकॉर्ड है.

इस बीच 2004 में NDA सरकार को हार का सामना करना पड़ा. फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में वे जदयू के टिकट को छोड़कर निर्दलीय उम्‍मीदवार के रूप में मुजफ्फरपुर से लड़े, लेकिन इस दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 30 जुलाई 2009 को शरद यादव द्वारा सीट छोड़ने के बाद जॉर्ज ने निर्दलीय उम्‍मीदवार के रूप में राज्‍यसभा के लिए पर्चा भरा. इस दौरान जदयू ने उनके खिलाफ कोई उम्‍मीदवार खड़ा नहीं किया.

इसके साथ ही रक्षामंत्री रहने के दौरान तहलका कांड, 2000 में इसराइल से बैरक-1 की खरीद में 7 मिलियन डॉलर का घोटाला और पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद चीन को युद्ध के लिए भड़काने का आरोप लगाया गया. वहीं, 29 जनवरी 2019 को दिल्‍ली के मैक्स हॉस्पिटल में में वे (88 वर्ष) दुनिया को अलविदा कह गए.

Previous Post

मॉडल ने फोटोग्राफर, एक्टर समेत 9 पर दर्ज कराया दुष्कर्म का मामला

Next Post

वैज्ञानिकों को मिला एक अद्भुत जीव, आधा नर-आधा मादा

Next Post
वैज्ञानिकों को मिला एक अद्भुत जीव, आधा नर-आधा मादा

वैज्ञानिकों को मिला एक अद्भुत जीव, आधा नर-आधा मादा

Please login to join discussion
Live Cricket Scores
  • Trending
  • Comments
  • Latest
वाराणसी: पति ने पत्नी व बेटे को पीटा…CCTV में वारदात कैद

वाराणसी: पति ने पत्नी व बेटे को पीटा…CCTV में वारदात कैद

August 8, 2021
राजधानी में हज हाउस बनने के मुद्दे पर‌ विरोध में खड़ी हुई भारतीय जनता पार्टी

दिल्ली: हज हाउस बनने के मुद्दे पर‌ विरोध में खड़ी हुई BJP

August 7, 2021
शहीद श्याम जी यादव, Martyr Shyam Ji Yadav

वाराणसी: जवान का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, ग्रामीणों का उमड़ा सैलाब

February 2, 2022
SP leader attacks BJP

सपा नेता का बीजेपी पर हमला, कहा – योगी और मोदी देश के युवाओं को अपाहिज बनाने का काम कर रहे हैं

January 19, 2022
खिरवा गांव में 21 दिनों में 21 लोगों की मौत

राजस्थान का एक ऐसा गांव, जहां 21 दिन में 21 लोगों ने गंवाई जान

0
काबुल में एक स्कूल के पास बम धमाका, बच्चे समेत 25 की मौत

काबुल में एक स्कूल के पास बम धमाका, बच्चे समेत 25 की मौत

0
हेमंत बिसवा सरमा होंगे असम के अगले मुख्यमंत्री

हेमंत बिसवा सरमा होंगे असम के अगले मुख्यमंत्री

0
इस अस्पताल ने दर्जनों ऑक्सीजन सिलेंडर कचरे में फेंके…

इस अस्पताल ने दर्जनों ऑक्सीजन सिलेंडर कचरे में फेंके…

0
Gyanvapi Masjid case

वाराणसी जिला जज कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में श्रृंगार गौरी पूजा की सुनवाई कल

May 25, 2022
Gyanvapi Masjid case

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई आज, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज की अदालत में हेगी सुनवाई

May 23, 2022
बनारस के मौसम हाल, तेज हवा संग बारिश के आसार

बनारस के मौसम हाल, तेज हवा संग बारिश के आसार

May 23, 2022
वाराणसी के अलईपुर में मालगाड़ी के पटरी से उतरे दो डिब्बे, वाराणसी-गोरखपुर रूट पर ट्रेनों का परिचालन हुआ बाधित

वाराणसी के अलईपुर में मालगाड़ी के पटरी से उतरे दो डिब्बे, वाराणसी-गोरखपुर रूट पर ट्रेनों का परिचालन हुआ बाधित

May 21, 2022

Latest

Gyanvapi Masjid case

वाराणसी जिला जज कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में श्रृंगार गौरी पूजा की सुनवाई कल

May 25, 2022
बनारस के मौसम हाल, तेज हवा संग बारिश के आसार

बनारस के मौसम हाल, तेज हवा संग बारिश के आसार

May 23, 2022
Gyanvapi Masjid case

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई आज, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज की अदालत में हेगी सुनवाई

May 23, 2022
वाराणसी के अलईपुर में मालगाड़ी के पटरी से उतरे दो डिब्बे, वाराणसी-गोरखपुर रूट पर ट्रेनों का परिचालन हुआ बाधित

वाराणसी के अलईपुर में मालगाड़ी के पटरी से उतरे दो डिब्बे, वाराणसी-गोरखपुर रूट पर ट्रेनों का परिचालन हुआ बाधित

May 21, 2022
ये है दुनिया की सबसे महंगी कार, इसकी कीमत का अंदाजा भी नहीं लगा सकते आप

ये है दुनिया की सबसे महंगी कार, इसकी कीमत का अंदाजा भी नहीं लगा सकते आप

May 21, 2022
Monkeypox Outbreak

दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले में तेजी, WHO का रिसर्च जारी

May 21, 2022

Bharat

Gyanvapi Masjid case

वाराणसी जिला जज कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में श्रृंगार गौरी पूजा की सुनवाई कल

May 25, 2022
Gyanvapi Masjid case

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई आज, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज की अदालत में हेगी सुनवाई

May 23, 2022
वाराणसी के अलईपुर में मालगाड़ी के पटरी से उतरे दो डिब्बे, वाराणसी-गोरखपुर रूट पर ट्रेनों का परिचालन हुआ बाधित

वाराणसी के अलईपुर में मालगाड़ी के पटरी से उतरे दो डिब्बे, वाराणसी-गोरखपुर रूट पर ट्रेनों का परिचालन हुआ बाधित

May 21, 2022
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालत ने तहखाने की वीडियोग्राफी पर सुनाया फैसला

ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में वाराणसी कोर्ट के जिला जज करेंगे सुनवाई, SC का आदेश

May 20, 2022
वाराणसी अदालत में ज्ञानवापी मामले में नहीं होगी सुनवाई आज, जानें क्या है वजह

ज्ञानवापी मस्जिद में जुमे की नमाज के लिए उमड़ी भीड़, लोगों से अपने आसपास की मस्जिदों में नमाज अदा करने की हुई अपील

May 21, 2022
Gyanvapi Masjid case

SC ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले की कल तक के लिए टाली सुनवाई, वाराणसी कोर्ट के आदेश पर भी लगा दी रोक

May 19, 2022

Copyright © 2021 News World Digital. All Right Reserved. Developed by Raj Tech.

No Result
View All Result
  • Home
  • Bharat
  • Covid-19
  • Crime
  • Entertainment
  • Sports
  • Science & Tech.
  • Business
  • International
  • Educational
  • जरा हटकें
  • Health & Tips
  • धर्म
  • Trending
  • Videos

© 2022 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

AllEscort