Russia Ukraine War: यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध जारी है, जहां यूक्रेन पर उसके हमले से तबाही के हाल है. वहीं चारों और गोले बरसाए जा रहे हैं, जिससे बिल्डिंग तहस-नहस हो चुकी हैं. वहीं देश में खाने-पीने की तंगी भी हो गई है. इस बड़े संकट में भगवान श्रीकृष्ण के भक्त (Iskcon) यूक्रेन के लोगों के लिए उनके पालनहार बनकर आए हुए हैं.
इस्कॉन मंदिर में निःशुल्क खाने पीने की व्यवस्था
वहीं इस्कॉन (ISKCON) के उपाध्यक्ष राधारमण दास (Radha ramn Das) ने ट्वीट करके कहा कि रूस, यूक्रेन, पोलैंड, हंगरी समेत आसपास के देशों में इस्कॉन के बहुत सारे मंदिर हैं. यूक्रेन के लोगों की मदद के लिए इस्कॉन ने अपने सभी मंदिरों में निशुल्क भोजन-पानी और शरण की व्यवस्था शुरू कर दी है. अकेले यूक्रेन में इस्कॉन के 54 मंदिर हैं. ऐसे में भूख-प्यास से परेशान लोगों को मंदिरों की लोकेशन भेजकर वहां पर मदद लेने की सलाह दी जा रही है.
भारतीय दूतावास भी इस्कॉन के नेक काम में कर रहा मदद
राधारमण दास ने कहा कि यूक्रेन से भागकर हंगरी में शरण लेने के लिए पहुंच रहे हजारों लोगों की मदद के लिए लंगर शुरू किया गया है. वहां पर तबाही से भागकर पहुंच रहे लोगों को पूरी मदद मुहैया करवाई जा रही है. उन्हें भोजन-पानी उपलब्ध कराने के साथ ही रहने के लिए जगह भी उपलब्ध करवाई जा रही है. हंगरी में बना भारतीय दूतावास भी इस्कॉन के इस नेक काम में मदद कर रहा है.
इस्कॉन मंदिर जरूरतमंदों की सेवा के लिए तैयार
इस्कॉन ने ट्वीट कर कहा, ‘जब जीवन में आपको नींबू मिले तो उसकी खटास से घबराने के बजाय उसका नींबू पानी बना लें. सनातन धर्म ने कीव में इस इस्कॉन भक्तों को यही सिखाया है. उन्होंने जो कुछ सीखा है, वे उसे इस कठिन समय में लागू कर रहे हैं. पूरे यूक्रेन में हमारे इस्कॉन मंदिर जरूरतमंदों की सेवा के लिए तैयार हैं. हमारे मंदिरों में आपका स्वागत है.’
इस्कॉन ने कहा, ‘चेचन्या युद्ध (1995) के दौरान भी, इस्कॉन भक्तों ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की सेवा की. हमारे एक भक्त की सेवा करते समय गोली लगने से मृत्यु हो गई. भक्तों ने 850,000 रूसियों, चेचेन, जॉर्जियाई, अर्मेनियाई और युद्ध के पीड़ितों को मुफ्त भोजन देने में मदद की थी.’
बता दें कि इस्कॉन (ISKCON) की इस पहल की सोशल मीडिया पर जबरदस्त सराहना की जा रही है. एक यूजर ने कहा कि सनातन धर्म कोई नया काम नहीं कर रहा है. वह तो सदा से जरूरतमंदों की सेवा को अपना धर्म मानता रहा है. जहां भी संकट आया, भारत और भारत के लोगों ने इसी धर्म का पालन करते हुए उनकी मदद को हाथ आगे बढ़ाए हैं.