वाराणसी: पाकिस्तान में इमरान खान सरकार पर इन दिनों संकट के बादल छाए हुए हैं. अब इमरान सरकार पर सबसे बड़ा खतरा मंडराने लगा है. नेशनल असेंबली में सोमवार को इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया गया है. नेता विपक्ष शहबाज शरीफ ने इस प्रस्ताव को सदन में पेश किया. इस प्रस्ताव को संसद की मंजूरी भी मिल चुकी है और इस पर 31 मार्च को बहस होनी है.
क्या गिर सकती है इमरान सरकार?
बता दें कि पाकिस्तानी संसद का सत्र 25 मार्च को बुलाया गया था, लेकिन तब अध्यक्ष ने प्रस्ताव पेश करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया. इसके बाद सोमवार को प्रस्ताव संसद में पेश होने की उम्मीद जताई जा रही थी. देश के गृह मंत्री शेख राशिद ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर 31 मार्च को फैसला किया जाएगा और प्रधानमंत्री इमरान खान कहीं नहीं जा रहे हैं.
शेख राशिद ने कहा खासकर एक दिन पहले इस्लामाबाद में हुई इमरान खान की शानदार रैली के बाद, लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि उनकी राजनीति अब हाशिये पर है. उन्होंने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को पाकिस्तान को कमजोर करने की साजिश करार दिया.
रैली में किया शक्ति प्रदर्शन
मालूम हों कि अपने ऊपर आए संकट के बीच रविवार को इमरान खान ने इस्लामाबाद में एक रैली करके शक्ति प्रदर्शन किया था. इस रैली में उन्होंने प्रस्ताव के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ होने तक का दावा किया. साथ ही विपक्षी नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा था कि उन्होंने पिछली सरकारों के दौरान जो कर्ज लिया, उसे आज तक उनकी सरकार चुका रही है.
इमरान खान ने कहा था कि देश की विदेश नीति तय करने के लिए विदेशी तत्व स्थानीय नेताओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके दावों की पुष्टि करने वाला एक पत्र सबूत के तौर पर उनके पास है.
सरकार बचाने का गणित
आपको बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव की वजह से पाकिस्तान का सियासी पारा चढ़ता जा रहा है, जिसका अगले हफ्ते के आखिर तक नतीजा दिख सकता है. इमरान सरकार को गिराने के लिए 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में विपक्ष को 172 वोटों की जरूरत होगी. नेशनल असेंबली में इमरान खान की पार्टी PTI के 155 सदस्य हैं और उन्हें भी सरकार बचाने के लिए 172 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी.