वाराणसी: उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को विश्वस्तरीय बनाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ साझा कोर्स शुरू करने को मंजूरी दे दी है. छात्रों के विदेश में होने वाले पलायन को थामने के लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है. अब छात्रों को अपने ही देश में अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटियों की डिग्री मिलेगी.
नई शिक्षा नीति के तहत मंजूरी
यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने मंगलवार को पत्रकारों से चर्चा में इस संबंध में रेगुलेशन को मंजूरी देने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसकी सिफारिश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में भी की गई है. इस नियम के तहत विदेशी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर भारतीय विश्वविद्यालय तीन तरह से प्रोग्राम संचालित कर सकेंगे. पहला साझा कार्यक्रम होगा. इसमें दोनों संस्थानों के बीच एक ऐसा अनुबंध होगा, जिसमें किसी भी संस्थान में पढ़ने वाला छात्र बीच में कभी भी किसी कोर्स की पढ़ाई किसी भी संस्थान में जाकर कर सकेगा. इस दौरान दोनों संस्थान कोर्स क्रेडिट एक दूसरे के साथ साझा करेंगे और मान्यता भी देंगे. हालांकि, इसमें डिग्री उसी संस्थान की मिलेगी, जहां दाखिला लिया गया होगा.
ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम को मान्यता
जगदीश कुमार ने बताया कि इस नियम का दूसरा अहम कदम ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम है. जिसमे कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय किसी भी विदेशी विश्वविद्यालय के साथ ज्वाइंट कोर्स को संचालित कर सकेगा. इसके तहत कोर्स के 30 प्रतिशत हिस्से की पढ़ाई विदेशी विश्वविद्यालयों में होगी. जो डिग्री दी जायेगी वह भारतीय संस्थानों की होगी. हालांकि इसके साथ ही छात्रों को एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जो विदेशी विश्वविद्यालय की ओर से जारी किया जाएगा.
ड्यूअल डिग्री का भी दी गई मान्यता
वहीं तीसरा प्रोग्राम दोहरे (ड्यूअल) डिग्री का होगा. इसमें कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय किसी भी शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कोर्स संचालित कर सकेगा. इनमें संबंधित कोर्स के 30 प्रतिशत हिस्से की पढ़ाई विदेशी संस्थानों में होगी. साथ ही उस कोर्स को लेकर दोनों अलग-अलग डिग्री जारी करेंगे. इनमें से एक कोर्स की दो डिग्री मिलेगी, जिसमे से एक भारतीय विश्वविद्यालय की होगी और दूसरी विदेशी विश्वविद्यालय की होगी. यूजीसी दोनों को ही मान्यता देगा.
नैक रैंकिंग में शीर्ष संस्थान ही ऐसे कोर्स कर सकेंगे संचालित
यूजीसी चेयरमैन के अनुसार, विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर फिलहाल वही भारतीय विश्वविद्यालय इस तरह के कोर्स शुरू कर सकते हैं, जो नैक रैंकिंग में शीर्ष पर होंगे. यानी नैक रैंकिंग में 3.21 अंक हासिल करने वाले विश्वविद्यालयों को विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू की छूट रहेगी. इसके साथ ही इनमें क्यूएस रैंकिंग और एनआइआरएफ रैंकिंग में शीर्ष सौ संस्थान भी पात्र होंगे. वहीं सिर्फ उन्हीं विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ ही वे यह साझा प्रोग्राम चला सकेंगे, जो क्यूएस और टाइम रैंकिंग में शीर्ष पांच सौ संस्थानों में होंगे. गौरतलब है कि मौजूदा समय में हर साल देश के लाखों छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं.