मध्य प्रदेश. MP में 26 जुलाई से 12वीं और 27 जुलाई से 11वीं की क्लास लगना शुरू हो गई है. 11वीं-12वीं की क्लास 50 फीसदी क्षमता के साथ सप्ताह में 2-2 दिन लगनी हैं. ऐसे में एक बच्चा सप्ताह में सिर्फ एक ही दिन क्लास में आ सकेगा. इस आदेश पर पैरेंट्स ने तर्क दिया है कि एक दिन स्कूल खुलने से छात्रों को कोई फायदा नहीं है. और तो और उन्हें पूरी फीस और ट्रांसपोर्टेशन के खर्च अलग उठाने पड़ रहे हैं. एक छात्र की सप्ताह में एक दिन आने के सवाल पर किसी के पास ठोस उत्तर नहीं है.
आपको बता दें कि स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार तो सवालों से बचते नजर आए. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि बच्चों को स्कूल आने की आदत हो जाए. एक दिन बुलाने से कोरोना की चेन नहीं बन पाएगी, इस कारण यह निर्णय लिया गया.
कोरोना चेन तोड़ने के लिए एक दिन बुला रहे: जयश्री कियावत
जानकारी के अनुसार, लोक शिक्षण आयुक्त जयश्री कियावत ने कहा, “सबको पता है कि कोरोना अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. इस कारण एक क्लास सप्ताह में 50 फीसदी क्षमता के साथ 2 दिन लगा रहे हैं, ताकि कोरोना की चेन न बने. वहीं, 11वीं-12वीं की क्लास दो-दो दिन लगा रहे हैं. जैसे-जैसे कोरोना कम होता जाएगा, वैसे-वैसे क्लास शुरू होगी. कब तक पूरी तरह क्लास लगेगी, यह अभी नहीं कह सकते. हम 5 अगस्त से 10वीं और 9वीं की क्लास शुरू करने जा रहे हैं, जो सप्ताह में सिर्फ एक दिन लगेगी.”
पेरेंट्स का तर्क: एक दिन क्लास खुलने से बच्चों को लाभ नहीं
इस आदेश के बाद पेरेंट्स का कहना है कि एक दिन क्लास खुलने से बच्चों को लाभ नहीं है. इससे फीस से लेकर स्कूल ड्रेस और अन्य खर्चे बढ़ गए हैं. कोटरा में रहने वाले पुनीत अग्रवाल ने कहा, “एक दिन क्लास लगाने का मतलब नहीं है. एक दिन बच्चे को स्कूल भेजने के लिए ड्रेस से लेकर अन्य तरह की तैयारी करना पड़ेगा. अभी कोरोना में वेतन भी आधा हो गया है. इससे और खर्चे बढ़ जाएंगे. ट्रांसपोर्ट सुविधा लेते है तो चार दिन के लिए महीने भर की फीस देना होगा. अगर ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं लेते हैं, तो एक व्यक्ति को बच्चे को लाने-ले जाने के लिए लगाना पड़ेगा.”