वाराणसी: देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी कही जाने वाली सिविल शिक्षा परीक्षा में शामिल होना हर एक छात्र का सपना होता है. हर साल लाखों अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल होते हैं. इस परीक्षा के तीन चरण (प्री, मेन्स व साक्षात्कार) होते हैं, जिन्हें अभ्यर्थियों को क्वॉलिफाई करना पड़ता है. लेकिन कुछ ही इसमें चयनित हो पाते हैं. यहां हम आपको इन परीक्षाओं में क्वॉलिफाई होने वाले टॉप रैंकर को एलॉट होने वाले IAS या IPS कैडर के फॉर्मूले को आसान भाषा में समझाएंगे. आइएं जानें क्या है वो फॉर्मूला, जिससे IAS या IPS की रैंक निर्धारित होती है.
UPSC एग्जाम पास करके कुल 24 सर्विसेज में लोगों का चयन होता है. ये दो कैटगरी में बांटी जाती है, पहली- ऑल इंडिया सर्विसेज (IAS और IPS) और दूसरी सर्विसेज (सेंट्रल सर्विसेज- ग्रुप ए व ग्रुप बी)
ग्रुप ए सर्विसेज में इंडियन फॉरेन सर्विस (IFS), इंडियन सिविल एकाउंट्स सर्विस , इंडियन रेवेन्यू सर्विस (इनकम टैक्स वाली पोस्ट्स), इंडियन रेलवे सर्विस (IRTS और IRPS) और इंडियन इनफार्मेशन सर्विस (IIS) जैसी सर्विसेज आती हैं. वहीं, ग्रुप बी में आर्म्ड फोर्सेज हेडक्वार्टर्स सिविल सर्विस, पुडुचेरी सिविल सर्विस, दिल्ली एंड अंडमान निकोबार आइलैंड सिविल और पुलिस सर्विस जैसी सर्विस आती हैं.
अगर आप भी सिविल परीक्षा में शामिल होना चाहते है तो आपको बता दें कि ग्रेजुएशन के बाद आप इसकी प्रीलिम्स परीक्षा दे सकते हैं. इसमें दो-दो घंटे के दो पेपर होते हैं. पहले पेपर के नंबर्स के आधार पर कटऑफ बनती है, वहीं दूसरा पेपर सीसैट क्वॉलिफाइंग पेपर होता है. इसमें पास होने के लिए 33 फीसदी मिनिमम अंक चाहिए होते हैं. फिर कटऑफ के अनुसार, चयनित उम्मीदवार मेन एग्जाम लिखते हैं. इसलिए मेंस के लिए आपको दोनों पेपर क्वॉलिफाई करना जरूरी होता है.
इसके बाद मेंस की बारी आती है, जिसे निकालना अभ्यर्थी के लिए एक बड़ा टास्क होता है. इसमें पहले दो पेपर लैंग्वेज के होते हैं, जो क्वॉलिफाई (33 फीसदी) करना अनिवार्य होता है. ये नंबर मेरिट लिस्ट बनाने में काउंट नहीं होते. ये दोनों पेपर्स तीन-तीन घंटे के होते हैं. इसमें दो भाषाएं इंडियन/रीजनल लैंग्वेज और इंग्लिश होता है.
अब इसके बाद एक निबंध का पेपर होता है, जो तीन घंटे का होता है, जिनमें दो निबंध लिखने होते हैं. इन दोनों निबंधों को लिखने के लिए अलग-अलग टॉपिक मिलते हैं, जिनमें से आप अपनी पसंद का टॉपिक चुन सकते हैं. उसके बाद जनरल स्टडीज के चार पेपर होते हैं. ये सभी तीन-तीन घंटे के होते हैं. इसमें एक दिन में दो से ज्यादा पेपर हो नहीं सकते. अंतिम में ऑप्शनल पेपर होता है, जिसमें दो एग्जाम होते हैं- पेपर 1 और पेपर 2. ऑप्शनल आपके द्वारा चुना गया विषय है. इन सब पेपर्स में क्वॉलिफाइंग को छोड़कर बाकी के मार्क्स से आपकी मेरिट लिस्ट बनती है.
मेंस का रिजल्ट आने के बाद आपको एक फॉर्म भरना होता है, जिसके आधार पर आपका पर्सनैलिटी टेस्ट (DAF यानी डिटेल एप्लीकेशन फार्म से) होता है.
DAF में दी गई जानकारियों के आधार पर ही आपके सामने इंटरव्यू पैनल सवाल रखता है. एप्लीकेशन के इस फॉर्म में आपसे हॉबी, बैकग्राउंड और एजुकेशन के बारे में पूछा जाता है. इंटरव्यू क्लियर होने के बाद वही नंबर जोड़कर रिजल्ट तैयार होता है. अब इसी रिजल्ट के आधार पर रैंकिंग आती है.
रैंकिंग की बात करें तो ये वैकेंसी पर निर्भर करती है, जिस साल जितनी वैकेंसीज निकलती हैं. किसी पोस्ट के लिए और अलग-अलग कैटेगरी यानी जनरल, SC, ST, OBC, EWS में जितने लोगों ने ऑप्शन चुना है. उसी आधार पर ये तैयार होती है. बाकी आपने मेन एग्जाम के फॉर्म भरते समय अपनी पहली प्रेफरेंस IAS, IFS या IPS जो भरी है, उसका भी ध्यान रखा जाता है. उसके बाद मेरिट लिस्ट निकलती है, जिसमें जिसके सबसे ज्यादा नंबर आते हैं, वो अगर IAS, IFS प्रेफरेंस में होते हैं, तो उन्हें यही रैंक एलॉट होती है. उसके बाद धीरे-धीरे घटते हुए मार्क्स के साथ आगे की पोस्ट भी मिलती जाती है.
ध्यान रहे कि इसका मतलब ये नहीं है कि अगर 100 पोस्ट्स की वैकेंसी है और उसमें IAS के लिए 30 रिक्तियां हैं, तो टॉप के 30 लोगों को ही मिलेगा. ये भी हो सकता है कि उन टॉप 30 लोगों में से किसी की प्रेफरेंस कुछ और हो. जैसे IPS या IRS. तो ऐसे मेरिट में थोड़ा पीछे रहे लोग अगर अपना प्रेफरेंस IAS रखते हैं तो उन्हें पोस्ट मिल सकती है. इस तरह थोड़ी पीछे के रैंक वाले लोग भी ये ऊपर की सर्विसेज पा सकते हैं.
बता दें कि हर साल वैकेंसीज की संख्या अलग-अलग होती है. साल 2005 में 457 वैकेंसी थीं, वहीं साल 2014 में बढ़कर 1364 हो गईं. इसके साथ-साथ एग्जाम देने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. UPSC हर साल वैकेंसी के हिसाब से ही मेंस एग्जाम और इंटरव्यू देने वालों की संख्या तय करता है. जैसे 100 पोस्ट की वैकेंसी है तो तकरीबन इसके 12 -13 गुना लोग मेन एग्जाम लिखने के लिए चुने जाते हैं. इसके बाद करीब 250 लोग इंटरव्यू के लिए चुने जाएंगे. इसके बाद लोग फाइनल रैंक की लिस्ट के लिए लोग चुने जाएंगे.
नोटः यह सिर्फ एक उदाहरण है.