वाराणसी. अमेरिकी दवा कंपनी नोवावैक्स का कहना है कि वह कोविड वैक्सीन की निर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट के साथ एक करार करने जा रही है. दुनिया भर में कोरोनावायरस का संक्रमण बढ़ रहा है और दुनिया का हर देश टीका विकसित करने पर काम कर रहा है.
नोवावैक्स कोविड-19 के टीके के प्रोडक्शन की क्षमता दो अरब डोज सालाना तक बढ़ाना चाहती है. इसी उद्देश्य के लिए उसने सीरम इंस्टीट्यूट से संपर्क किया है और एक करार किया है. इस खबर के बाद नोवावैक्स के शेयर में 7 फीसदी की तेजी देखी गई है.
सीरम इंस्टीट्यूट ने जुलाई में बच्चों के लिए नोवावैक्स शॉट का क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बनाई हैं. पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नोवावैक्स टीके के संदर्भ में नीति आयोग के सदस्य वीके पाल ने कहा था कि नोवावैक्स वैक्सीन के प्रभाव संबंधी आंकड़े उत्साहजनक हैं. नोवावैक्स के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़े भी संकेत देते हैं कि यह सुरक्षित और अत्यंत प्रभावी है.
साथ ही कहा था कि आज भारत के लिए इस टीके की प्रासंगिकता यह है कि इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया करेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि सीरम इंस्टीट्यूट इसका बच्चों पर भी परीक्षण शुरू करेगा. अमेरिकी जैव प्रौद्योगिकी कंपनी नोवावैक्स ने सोमवार को दावा किया कि तीसरे चरण के परीक्षण में उसकी कोरोना रोधी वैक्सीन को समग्र रूप से 90.4 फीसद असरदार पाया गया है. कंपनी ने यह भी कहा कि संक्रमण के मध्यम और गंभीर लक्षणों के खिलाफ यह सौ फीसद सुरक्षा भी प्रदान करती है.
कंपनी ने कहा कि तीसरे चरण का परीक्षण अमेरिका और मेक्सिको में 119 केंद्रों पर 29,960 लोगों पर किया गया. आखिरी चरण में वैक्सीन के प्रभाव, सुरक्षा और प्रतिरक्षा का आंकलन किया गया. कंपनी ने कहा कि मध्यम और गंभीर लक्षणों के खिलाफ सौ फीसदी सुरक्षा प्रदान करती है.
कंपनी के मुताबिक, कोरोना के विभिन्न वैरिएंट के खिलाफ भी वैक्सीन प्रभावी है. नोवावैक्स के प्रेसिडेंट और सीईओ स्टैनली सी. एर्क ने कहा कि कंपनी की एनवीएक्स-सीओवी2373 अत्यंत असरदार है और मध्यम एवं गंभीर संक्रमण के खिलाफ पूर्ण सुरक्षा प्रदान करती है. प्रोटीन आधारित इस वैक्सीन को कोरोना वायरस के पहले स्ट्रेन के जीनोम सिक्वेंसिंग से तैयार किया गया है.
कंपनी के मुताबिक, उसकी वैक्सीन का रखरखाव भी आसान है. इसे दो से आठ डिग्री सेल्सियस यानी सामान्य फ्रीज में रखा जा सकता है. इसकी वजह से वैक्सीन के वितरण के लिए मौजूदा सप्लाई चेन में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं होगी.