बाराबंकी: हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह खास दिन महिलाओं की उपलब्धियों को समर्पित है. महिलाओं को मान-सम्मान देने के लिए हर साल 8 मार्च को इंटरनेशनल विमेंस डे के रूप में मनाया जाता है.इंटरनेशनल वूमेंस डे पर हम आज आपको बाराबंकी की ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिसने संघर्षों के बीच अपने लिए नई राह बनाई.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
आज हम ऐसी ही एक बाराबंकी जिले की महिला प्रेमा देवी का जिक्र करने जा रहे हैं. जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की नई परिभाषा गढ़ी और पुरुष प्रधान समाज की तमाम बंदिशों को चुनौती देते हुए अपनी राह खुद बनाई.
प्रेमा देवी की कहानी
बाराबंकी जिले की कोठी क्षेत्र की रहने वाली एक 55 वर्षीय महिला प्रेमा देवी अपने पति की मौत के बाद अपने परिवार का पेट भरने के लिए तालाब में नाव चला कर सिंघाड़े उगाने और बेचने का काम करती हैं. उन्होंने बताया कि करीब 25 साल पहले पति की मौत हो गई थी और हमारे चार बच्चे हैं. अगर हम महिला होकर घर में बैठ जाएंगे तो कमाएंगे कैसे और परिवार का पेट कैसे पालेंगे, बच्चों को अच्छी शिक्षा कैसे दिलाएंगे? क्योंकि हमारे पास ना तो जमीन है और ना ही कोई आय का दूसरा स्रोत जिससे हम अपना और अपने बच्चों का पालन कर सकें.
प्रेमा देवी ने आगे बताते हुए कहा कि मुझे ये काम करते हुए 20-25 साल हो गए हैं. दिन-रात मेहनत की है. कभी ये नहीं सोचा कि मैं एक महिला हूं. बस मेहनत करने में लगी रही और इसी मेहनत से जो पैसे आते हैं उससे मैं अपना और अपने बच्चों का भरण पोषण कर रही हूं.