लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के नामांकन से पहले पार्टी के दिग्गज नेताओं ने एक जनसभा को संबोधित किया. वहीं योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने गोरखपुर सदर विधान सभा सीट (Gorakhpur Sadar Assembly Seat) से भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. वहीं दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती (BSP Chief Mayawati) और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Congress Leader Priyanka Gandhi) में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में चुनाव प्रचार कर रही हैं. वहीं एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM Chief Asaduddin Owaisi) पर हुए हमले के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई. दूसरी ओर सभी दल बागियों को मनाने और उनसे पार पाने के उपायों में जुट गये हैं.
मोदी ने की वर्चुअल माध्यम से चुनाव प्रचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वर्चुअल माध्यम से चुनाव प्रचार किया. इससे पहले गोरखपुर में गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान सहित कई बड़े नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए नामांकन की रूपरेखा जनता के सामने रखी. खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक ने प्रदेश के चुनाव में केंद्र की उपलब्धियों का भी खूब बखान किया.
वहीं कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने आज भी गाजियाबाद के कई क्षेत्रों में जनसंपर्क कर पार्टी के लिए वोट मांगे. हालांकि वह पार्टी को संजीवनी दे पाएंगी, ऐसा लगता नहीं है.इस साल का चुनाव सभी दलों के लिए बागियों और भीतरघातियों से पार पाना एक चुनौती बन गया है. अब सभी पार्टियां डैमेज कंट्रोल में लग गई हैं. बागी नेताओं को आगामी विधान परिषद चुनावों में समायोजित करने का प्रलोभन भी दिया जा रहा है.
टिकटों के लिए मारा-मारी
वहीं भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में होने के कारण भी यहां टिकटों के लिए मारा-मारी रही है. बसपा और कांग्रेस में भी आंशिक विरोध है, पर इन दलों के पास खोने के लिए बहुत कुछ नहीं है. इसलिए ज्यादा चिंता सपा और भाजपा के लिए है.
असदुद्दीन ओवैसी की बढ़ाई गई सुरक्षा
अब बात एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी पर हमले की. गुरुवार को ओवैसी पर हुए हमले पर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. यही नहीं, गृह मंत्रालय ने आनन-फानन में ओवैसी की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला भी कर लिया. इस मामले में सरकार की तेजी बताती है कि वह किसी भी हालत में इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ किसी और को लेने देना नहीं चाहती थी. सरकार ने सावधानी से हर वह कदम उठाया, जिससे उस पर कोई भी आरोप न लग सके.