वाराणसीः कश्मीरी पंड़ितों (Kashmiri Pandits) के ऊपर जुल्मों को लेकर तो कई बार बातें हुईं, कुछ फिल्में भी बनीं लेकिन हालिया फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) जमकर सुर्खियां बंटोर रही है. विवेक रंजन अग्निहोत्री (Vivek Ranjan Agnihotri) ने इस फिल्म कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्मों को जिस तरह दिखाया है. इस देखकर लोगों की आंख में आंसू आ जाते हैं.
बिट्टा कराटे का वीडियो
‘द कश्मीर फाइल्स’ में जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के आतंकवादी बिट्टा कराटे (Bitta Karate) का इंटरव्यू भी है. यह वही बिट्टा कराटे है जिसने कश्मीर में 1990 में हुए कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया था और उफ्फ तक नहीं निकली. फिल्म में एक बिट्टा कराटे नाम के एक शख्स का ऐसा इंटरव्यू भी है जिसके बारे में जानकर किसी की भी रूह कांप जाएगी.
बिट्टा ने बताया कैसे लोगों को मारा
आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर बिट्टा कराटे का वीडियो वायरल हो रहा है. फिल्म में दिखाए गए वीडियो में बिट्टा कराटे इस बात को कबूल कर रहा है कि उसने 20 लोगों को मौत के घाट उतारा था. इन लोगों में कुछ कश्मीरी पंडित भी शामिल थे. बिट्टा ने वीडियो में ये भी बताया कि आखिर कत्ल करते वक्त उसे कैला लग रहा था. उसने बताया कि पहले कत्ल के बाद उसे कुछ अजीब लगा पर फिर सब ठीक लगने लगा. बिट्टा कराटे बड़े ही निर्मम तरीके से मारता था. वह बिना नकाब पहने ही सड़कों पर निकल जाता है और पिस्टल से लोगों को मौत के घाट उतारता.
कहां है बिट्टा कराटे?
मिली जानकारी के मुताबिक, बिट्टा कराटे उर्फ फारूक अहमद डार (Farooq Ahmed Dar) जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (JKLF) का चेयरमैन है। 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बाद बिट्टा कटारे राजनीति की दुनिया में उतर गया था. राजनीति में आने से पहले दिए एक इंटरव्यू में बिट्टा कटारे ने नरसंहार को लेकर सारे आरोप कबूले थे, लेकिन बाद में वह पलट गया. बिट्टा अभी भी कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का चेयरमैन है। हालांकि उसने मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में खुद की गई हत्याओं और बाकी गुनाहों के बारे में बताया था. बिट्टा कराटे ने इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि वह पाकिस्तान से 32 दिन की ट्रेनिंग लेकर आने के बाद आतंकी बना था.
जज ने क्या कहा था
बिट्टा को सबसे पहले जून 1990 में गिरफ्तार किया गया था वो 2006 तक यानी 16 साल जेल में रहा. साल 2006 में उसे जमानत पर रिहा करते हुए टाडा कोर्ट के जस्टिस एनडी वानी ने कहा, ‘अदालत इस तथ्य से अवगत है कि आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं जिसमें मौत की या फिर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है लेकिन एक तथ्य ये भी है कि अभियोजन पक्ष ने मामले में सही तरीके से बहस करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है. लिहाजा बिट्टा को जमानत दी जाती है.’
2019 में फिर गिरफ्तार
जेल से छूटने के बाद बिट्टा जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) में शामिल हुआ. आज भी वो जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) में है. वहीं पुलवामा हमले के बाद बिट्टा को आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत कार्रवाई करते हुए टेरर फंडिंग के आरोप में 2019 में एनआईए (NIA) ने गिरफ्तार किया था.