वाराणसी: कहते हैं अगर हौसला बुलंद हो और सपने पुरे करने की चाहत हो तो तो बिना पंखों के भी उड़ सकते हैं. मेरठ के नीरज चौहान के सफलता की कहानी सुनकर आपको भी इस बात पर भरोसा हो जाएगा. मेरठ के रहने वाले नीरज चौहान ने अपनी जगह तीरंदाजी के लिए एशियन गेम्स में पक्की कर ली है . मेरठ के युवा तीरंदाज नीरज चौहान अब एशियन गेम्स में भारत के लिए पदक पर निशाना साधते नजर आएंगे. वहीं, नीरज के चयन से परिवार के साथ ही पूरे जिले में खुशी का माहौल बना हुआ है.
30 सालो से रसोइए का काम करते हैं पिता
एशियन गेम्स आर्चरी वर्ल्ड कप और वर्ल्ड गेम्स के लिए नीरज चौहान का सेलेक्शन हुआ है. हरियाणा के सोनीपत में 24 से 30 मार्च तक चल रहे आर्चरी के ट्रायल को नीरज ने क्वॉलीफाई कर लिया है. नीरज मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं .उनके पिता का नाम अक्षय लाल चौहान है, वह सन् 1992 से मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में रसोइए का काम कर रहे हैं. इसी स्टेडियम में नीरज लगातार तीरंदाजी का अभ्यास करते रहे.
पिता और भाई के साथ सब्जियों का ठेला तक लगाया
नीरज और उनके परिवार के लिए मुश्किल का दौर तब शुरू हुआ, जब कोविड काल में स्टेडियम का हॉस्टल बंद हो जाने से उनकी नौकरी चली गई . जिसके चलते परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया.इस दौरान गुजर-बसर के लिए नीरज ने भी परिवार की जिम्मेदारी उठाई. नीरज अपने पिता और मुक्केबाज भाई सुनील के साथ सब्जी का ठेला लगाने लगे, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ था. उस दौरान निवर्तमान केंद्रीय खेल मंत्री किरन रिजिजू ने इस पर संज्ञान लेते हुए दोनों खिलाड़ियों को 5-5 लाख रुपये की मदद की थी.
नीरज के पिता ने सरकार से लगाई गुहार
अक्षयलाल ने बताया कि नौकरी जाने के बाद स्टेडियम प्रशासन ने कई बार उनके अस्थायी आवास को खाली करने के लिए नोटिस दे चुका है. इतना ही नहीं बल्कि परिवार को निकालने के लिए बिजली और पानी की लाइन भी काट दी गई है. उन्होंने सरकार से कुछ वक्त देने की गुजारिश की है.