वाराणसी. आज का दिन यानी कि 12 जून वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर के रूप में मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत 2002 में आज ही के दिन (12 जून) इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) के द्वारा की गई थी। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश बाल श्रम पर रोक लगाना है।
विश्व में बढ़ते बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों द्वारा कई कैंपेन भी चलाए गए है। वहीं, श्रमिक संगठनों द्वारा लाखों लोगों को इससे जागरूक करने के लिए नियुक्त भी किया जाता है। इसके साथ ही दुनिया भर में कई कार्यक्रमों को आयोजित भी किया जाता है।
कैसे हुई इसकी शुरुआत
5 से 17 वर्ष के कई बच्चे छोटी उम्र से ही ऐसे कामों में लग जाते हैं, जो उन्हें उनके बचपन से दूर कर देती है। कम उम्र में काम करने के चलते वह अच्छी शिक्षा, उचित स्वास्थ्य, देखभाल और कई बचपन में करने वाले क्रियाकलापों से दूर हो जाते हैं। इसी को देखते हुए साल 2002 में संयुक्त राष्ट्र की संस्था, जो श्रम की दुनिया को चलाता है, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) ने वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर को लॉन्च किया।
विश्व नेताओं द्वारा 2015 में अपनाए गए कई लक्ष्यों में बाल श्रम को समाप्त करने के लिए विश्व स्तर पर नए सिरे से कार्य की शुरुआत की गई।
बाल श्रम के कारण
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) के 2012-2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 और 17 उम्र के बीच के 152 मिलियन बच्चों को गरीबी के कारण कार्य करना पड़ रहा है। और तो और 152 मिलियन में से 73 मिलियन बच्चे खतरनाक कार्यों में जुट जाते हैं। कुछ तो मानव तस्करी का शिकार भी हो जाते हैं। बालश्रम, बच्चों से स्कूल जाने का अधिकार छीन लेता है और पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकलने देता। बाल श्रम मुख्यतः निर्धनता और शिक्षा की कमी के कारण होता है, जिसे दूर करना बेहद मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं।
भारत में बाल श्रम
2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बाल मजदूरों की संख्या 1.01 करोड़ है, जिसमें 56 लाख लड़के और 45 लाख लड़कियां हैं। सामान्य भाषा में कह सकते हैं कि जब तक हमारे विश्व में भुखमरी रहेगी तब तक हम बाल श्रम को खत्म नहीं कर सकते है।