कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट इलाके में हुई हिंसा से लोग डर गए हैं. जिसके कारण अब लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार हिंसा के बाद डरे स्थानीय लोग अपने घरों को छोड़कर दूसरे स्थान जा रहे हैं. एक महिला ने कहा, सुरक्षा के मद्देनज़र हम घरों को छोड़कर जा रहे है, जिनकी मृत्यु हुई उनमें से एक मेरा देवर था. महिला ने कहा पुलिस ने किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं दी, सुरक्षा होती तो ये घटना न घटती.
बीरभूम जिले में हिंसा मामला
बता दें कि बीरभूम जिले के रामपुरहाट इलाके में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस नेता ने एक स्थानीय नेता की हत्या कर दी थी. जिसके बाद भड़की हिंसा में गुस्साए लोगों ने कथित तौर पर आठ घरों को आग के हवाले कर दिया. ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ लोगों ने अपने नेता की हत्या का बदला लेने के लिए मकानों में आग लगा दी. दमकल अधिकारियों ने मंगलवार को दावा किया कि इन घरों से 10 लोगों के जले हुए शव मिले हैं. इनमें दो बच्चे भी शामिल हैं. उधर, इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जांच के लिए एसआइटी गठित की है. राज्य के तीन वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों को एसआइटी का सदस्य बनाया गया है.
राज्यपाल और ममता बनर्जी आए आमने-सामने
इधर, राज्यपाल जगदीप धनखड़ व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी आमने-सामने आ गए हैं. राज्यपाल ने मंगलवार को ट्वीट कर इस घटना को भयावह करार देते ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि राज्य हिंसा एवं अराजकता की संस्कृति की गिरफ्त में है. साथ ही यह घटना राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था का संकेत है. इस घटना पर दुःख प्रकट करते हुए राज्यपाल ने राज्य के मुख्य सचिव से शीघ्र ही इसके संबंध में जानकारियां भी मांगी है.
राज्यपाल ने ट्वीट के साथ एक वीडियो संदेश भी जारी किया. इसमें उन्होंने कहा, प्रशासन को दलीय हित से ऊपर उठने की जरूरत है जो आगाह किए जाने के बाद भी हकीकत में नजर नहीं आ रही है. पुलिस से इस मामले की जांच पेशेवर ढंग से करने का आह्वान करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव को इस घटना के बारे में तत्काल उन्हें जानकारियां भेजने को कहा है. दूसरी ओर, राज्यपाल के इस ट्वीट पर ममता ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए आलोचना की है. ममता ने राज्यपाल को दो पन्ने का पत्र लिखकर निष्कर्षों से पहले इस तरह के आरोपों को बेहद पीड़ादायक व दुर्भाग्यपूर्ण बताया.