श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के श्रीनगर (Srinagar) के अस्पताल से एक दुर्लभ दृश्य देखने को मिला. जहां एक अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी एक कश्मीरी पंडित की मौत पर इतने दुखी थे, जैसे उन्होंने अपने ही परिवार के एक सदस्य को खो दिया है.
बता दें कि जम्मू कश्मीर के श्रीनगर (Srinagar) के मनोरोग रोग अस्पताल में एक कश्मीरी पंडित की मौत से पूरे डॉक्टर और कर्मचारी बहुत दुखी थे. मालूम हो कि 1990 के दशक की शुरूआत में समुदाय के बड़े पैमाने पर पलायन से ठीक पहले एक कश्मीरी पंडित लड़की को उसके परिवार ने श्रीनगर के मनोरोग रोग अस्पताल में भर्ती कराया था.
30 साल का टूटा साथ
श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रो. मकबूल अहमद डार ने कहा कि वह 30 साल तक हमारे साथ रही और वह अस्पताल के इस परिवार का हिस्सा बन गई थी.
वहीं अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि मरीज की मां कभी-कभार उससे मिलने आती थी, लेकिन जिस देखभाल और स्नेह से उसकी बेटी का इलाज किया जा रहा था, उसे देखकर मां ने कभी बेटी को वापस ले जाने के लिए नहीं कहा.
डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने जताया शोक
लड़की का इलाज और देखभाल करने वाले डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने कहा, ‘उसका आखिरी सफर हमने उसी अस्पताल से शुरू कराया जो पिछले 30 साल से उसका घर था. उसके अस्पताल में रहने के दौरान, डॉक्टर उसे उसके नाम से बुलाते थे और वह अपनी मानसिक बीमारी के बावजूद हर डॉक्टर को नाम से पहचानती थी.
मनोचिकित्सक रोगों के लिए श्रीनगर के अस्पताल के स्टाफ का इस लड़की की अंतिम यात्रा में शामिल होना कश्मीरियों के मानवीय मूल्यों को परिभाषित करता है. वहीं इस घटनाक्रम को घाटी की उदार संस्कृति के गौरवशाली अध्याय के रूप में याद किया जाएगा.