वाराणसी: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनने जा रही है. बीजेपी की दोबारा बनती सरकार के बीच मुनव्वर राणा के यूपी छोड़ने वाले बयान पर खूब चर्चा हो रही है. बता दें कि रायबरेली के रहने वाले मुनव्वर राणा ने यूपी चुनाव से पहले एक घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि अगर प्रदेश में बीजेपी जीती और योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं, तो वह यूपी छोड़कर कोलकाता वापस चले जाएंगे. हालांकि पुराने बयान पर अभी तक शायर की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन शनिवार को उन्हें भोपाल आने का आमंत्रण जरूर मिल गया है.
मुनव्वर राणा को कम बोलने की सलाह
बता दें कि यह आमंत्रण मशहूर शायर मंजर भोपाली की ओर से आया है. मंजर भोपाली ने तंज कसते हुए कहा कि मुनव्वर राणा भोपाल में मेरे फार्म हाउस पर आकर रहें. इस दौरान उन्होंने मुनव्वर राणा को कम बोलने की सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि शायर का काम शायरी करना है सियासत नहीं…!
मंजर भोपाली ने दी मुनव्वर राणा को सलाह
मंजर भोपाली ने आगे कहा, “मैं उन्हें पत्र भी लिखूंगा. उनसे मिलकर भी कम बोलने की सलाह दूंगा. शायर जो बोलता है उस पर अमल भी करता है इसलिए मैंने ऐसे सोचा. ज्यादा बोलने से आदमी थक जाता है और ऊल जलूल बोलता है. मुनव्वर राणा शायरी करें सियासत नहीं. ऐसे लोग जब सियासत में आते हैं, तो उनकी जमानत जब्त हो जाती है. इस तरह के बयानों से शोहरत नहीं रुसवाई मिलती है. मंजर भोपाली ने कहा कला और साहित्य के लोगों को ऐसे बयानों और सियासत से दूर रहना चाहिए.”
शायर ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा,”जब नेहरू लाल किले पर जा रहे थे, तो उनके साथ दिनकर भी थे. नेहरू जी लड़खड़ा गए. उन्हें दिनकर जी ने संभाला. तब दिनकर जी ने कहा था जब-जब सियासत लड़खड़ाती है. तब-तब उन्हें शायर संभालते हैं. शायर और साहित्यकारों का यही काम होता है.”
मुनव्वर की शायरी में आएगा निखार
मंजर भोपाली ने आगे कहा, “मैं करीब 18 साल से भोपाल में हूं. यहां बीजेपी की सरकार है. मैं 18 साल से यहां हूं, यहां कोई डरा हुआ नहीं है. ये झीलों का शहर, अजान और भजनों का शहर भोपाल है. यहां आने पर मुनव्वर राणा की शायरी में निखार आएगा.”
फेसबुक पर किया पोस्ट
मंजर भोपाली ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट भी किया है, जिसमें उन्होंने अपने फार्म हाउस फोटो शेयर करते हुए लिखा है, “गुजारिश, मुनव्वर भाई घर हाजिर है…उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बन गई. मुनव्वर राणा ने कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो उत्तर प्रदेश छोड़ दूंगा. मैंने भोपाल में उनके लिए अपने फॉर्म हाउस पर एक घर तैयार कराया है. अगर वो मध्य प्रदेश आना चाहते हैं तो भोपाल उनकी सेवा के लिए हाजिर है. इसके आगे मंजर भोपाली ने एक शेर भी लिखा है. मगर उनसे एक गुजारिश है, “कम बोलिए जनाब जिहानत के बावजूद…”