वाराणसी: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) बिगुल बजने वाला है. ऐसे में सभी पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों के नाम की सूची जारी कर रहे हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश में कभी वामपंथी दलों के विधायक और मंत्री हुआ करते थे, लेकिन धीरे-धीरे क्षेत्रीय पार्टियां हावी होती गईं और वामपंथी दलों का बोरिया बिस्तर बंधता गया. अब उत्तर प्रदेश की सियासत में कम्युनिस्ट पार्टियों का भविष्य पूरी तरह से गर्त में ही है. फिर भी इन पार्टियों के नेता हार नहीं मान रहे हैं लाख बिखर जाने के बाद भी चुनावी मैदान में उतर रहे हैं इस बार भी करीब पांच दर्जन प्रत्याशी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं.
60 सीटों पर वामपंथी दल लड़ रहे चुनाव
मालूम हो कि भले ही यूपी की सियासत में कम्युनिस्ट पार्टी को कोई पूछने वाला न हो, लेकिन किस्मत आजमाने में यह पार्टी अभी भी पीछे नहीं हट रही हैं. इस बार भी वामपंथी दल मिलकर लगभग 60 सीटों पर चुनाव मैदान में उतर रहे हैं. इन पार्टियों में सीपीआई, सीपीआईएम, फॉरवर्ड ब्लॉक और लोकतांत्रिक जनता दल शामिल हैं.
54 जिलों में पार्टी के कार्यालय
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रदेश के लगभग. 65 जिलों में संगठन है लेकिन सभी इकाइयां संसाधनों की कमी से जूझ रही हैं, सिर्फ 54 जिलों में पार्टी के कार्यालय हैं. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव हीरालाल यादव बताते हैं कि सीपीएम का संगठन 50 जिलों में है सभी जिलों में कमेटियां है. इनका प्रभाव उत्तर प्रदेश के 57 जिलों में है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की बात करें तो मुरादाबाद नगर, छाता, बिधरी चैनपुर, बीसलपुर, लखीमपुर, हरदोई, सरोजिनी नगर, दिबियापुर, महरौनी, हमीरपुर, तिंदवारी, चित्रकूट, विश्वनाथ गंज, बारा, अयोध्या, नानपारा, तुलसीपुर, महाराजगंज, कैंपियरगंज, पिपराइच, फाजिलनगर, रामपुर कारखाना, निजामाबाद, मेहनगर, मुरादाबाद, गोहना, मऊ, बांसडीह, जखनिया, जंगीपुर, पिंडरा, रॉवर्टसगंज सीटों से चुनाव मैदान में हैं.
सीपीआई 40 सीट पर, सीपीआईएमएल 11 सीट पर, भाकपा (माले) चार सीट पर, फारवर्ड ब्लाक तीन सीट पर और लोकतांत्रिक जनता दल एक सीट पर प्रत्याशी उतार रहा है.