वाराणसी: देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने तीन दिवसीय दौरे पर यूपी के कानपुर पहुंचे। इस यात्रा में उनकी पत्नी सविता कोविंद भी मौजूद रही। शुक्रवार को महाराजा एक्सप्रेस से कानपुर पहुंचे, राष्ट्रपति का यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और सीएम योगी ने स्वागत किया। राष्ट्रपति बनने के बाद कोविंद पहली बार तीन दिन के अवकाश पर कानपुर पहुंचे थे। इस प्रवास में वे कानपुर स्थित अपने पैतृक गांव परौंख भी गए।
राष्ट्रपति कोविंद यूपी के तीन दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को झिंझक शहर में एक स्टॉपओवर के दौरान एक कार्यक्रम में भी शरीक हुए थे। इस दौरान उनके द्वारा लोगों को संबोधित भी किया गया। झिंझक रेलवे स्टेशन पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने लोगों से राष्ट्र के प्रति कर्तव्य के रूप में करों का भुगतान करने का आग्रह किया।
5 लाख की सैलरी में से 2.75 लाख की राशि टैक्स में जाती है
राष्ट्रपति कोविंद ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “मैं भी करों का भुगतान करता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि दूसरों की अपेक्षा कर भुगतान करने के बाद मैं उनसे काफी कम पैसे बचा पाता हूं।” राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में कहा, “कभी-कभी गुस्से में अगर हम कहते हैं कि ट्रेन किसी विशेष रेलवे स्टेशन पर नहीं रुक रही है, तो हम इसे जबरन रोकते हैं। हम इसे आग भी लगाते हैं। अगर ट्रेन में आग लग जाती है तो कौन हारता है? लोग कहते हैं कि यह सरकारी संपत्ति है। यह करदाता के ही पैसे होते हैं। मैं इसका उल्लेख इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि हर कोई जानता हैं कि कुछ भी गलत नहीं है।”
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति देश के सबसे अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारी हैं। लेकिन वह टैक्स भी देते हैं। उन्होंने कहा, “मैं टैक्स का भुगतान करता हूं। हर महीने कर के रूप में 2.75 लाख। सब कहते हैं कि मुझे 5 लाख रुपये महीने मिलते हैं, लेकिन इस पर टैक्स लगता है। राष्ट्रपति ने हंसते हुए कहा, “लेकिन कितना बचा है? मैं जो कुछ भी बचाता हूं, हमारे अधिकारी उससे ज्यादा कमाते हैं। यहां के शिक्षक … वे भी ज्यादा कमाते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मैं केवल यह बताने के लिए कह रहा हूं कि इन करों से विकास होता है तो यह किसका नुकसान है? आपका और मेरा।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे जैसा एक साधारण गांव का लड़का देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होगा। हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने इसे बनाया है। आज मैं जहां भी पहुंचा हूं, इसका श्रेय इस गांव की मिट्टी, इस क्षेत्र और आपके प्यार और आशीर्वाद को जाता है।”
अब ऐसे में एक सवाल उठता है कि आखिरकार क्या सच में देश के सर्वोच्च पद यानी कि राष्ट्रपति के वेतन से टैक्स काटा जाता है? अब देश का राष्ट्रपति खुद इस बात को अगर अपने संबोधन में कहे तो बात में तो सच्चाई जरूर होगी। अगर ऐसा है तो राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के साथ न्याय जरूर होना चाहिए। क्योंकि, भारतीय सविंधान के अनुसार राष्ट्रपति का वेतन टैक्स फ्री होता है. और अगर ऐसा नहीं है तो उन्होंने अपने संबोधन में ये बात क्यों की, ये एक जांच का विषय है। इस पर एक जांच कमेटी बैठाई जानी चाहिए कि ताकि सच सामने आ सके।