बेंगलुरुः कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. इन सब विवाद को देखते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कुछ कॉलेज परिसरों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि वह भावनाओं को अलग रखेगा और संविधान के अनुसार चलेगा.
3 दिन बंद रहेंगे स्कूल-कॉलेज
वहीं कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई (CM Basavaraj Bommai) ने विवाद को लेकर ट्वीट किया,”मैं सभी छात्रों, शिक्षकों और स्कूलों और कॉलेजों के प्रबंधन के साथ-साथ कर्नाटक के लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील करता हूं. मैंने अगले तीन दिनों के लिए सभी हाई स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है. सभी संबंधितों से सहयोग का अनुरोध है.”
I appeal to all the students, teachers and management of schools and colleges as well as people of karnataka to maintain peace and harmony. I have ordered closure of all high schools and colleges for next three days. All concerned are requested to cooperate.
— Basavaraj S Bommai (@BSBommai) February 8, 2022
हिजाब पहनना भावनात्मक मुद्दा नहीं बनना चाहिए
हिजाब मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, मेरे लिए, संविधान भगवद गीता है. हमें संविधान के अनुसार कार्य करना है. मैं संविधान की शपथ लेने के बाद इस पोजिशन (स्थिति) पर आया हूं. इस मुद्दे पर भावनाओं को एक तरफ रख देना चाहिए. हिजाब पहनना भावनात्मक मुद्दा नहीं बनना चाहिए.
सरकार अनुमानों पर निर्णय नहीं ले सकती
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि सरकार छात्रों को दो महीने के लिए हिजाब पहनने की अनुमति देने के याचिकाकर्ता के अनुरोध से सहमत नहीं है, इसलिए वह योग्यता के आधार पर मामले को उठाएगी.
कुरान के खिलाफ सरकार फैसला नहीं दे सकती
पीठ ने आगे कहा, की सरकार कुरान के खिलाफ फैसला नहीं दे सकती. पसंद की पोशाक पहनना एक मौलिक अधिकार है. हिजाब पहनना एक मौलिक अधिकार है, हालांकि, सरकार मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित कर सकती है. सरकार की ओर से वर्दी पर कोई स्पष्ट आदेश नहीं है. हिजाब पहनना निजता का मामला है. इस संबंध में सरकारी आदेश निजता की सीमाओं का उल्लंघन करता है.
पीठ ने पूछा कुरान का कौन सा पृष्ठ कहता है कि हिजाब अनिवार्य
पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि कुरान का कौन सा पृष्ठ कहता है कि हिजाब अनिवार्य है. जज ने कोर्ट के पुस्तकालय से कुरान की एक प्रति भी मांगी. इसने याचिकाकर्ता से यह समझने के लिए पवित्र पुस्तक में से पढ़ने के लिए भी कहा कि ऐसा कहां कहा गया है. पीठ ने यह भी पूछा कि क्या सभी परंपराएं मौलिक प्रथाएं ही हैं और उनका अधिकार क्षेत्र क्या है.
याचिकाकर्ता ने दलील देते हुए कहा, सरकार को मामले में उदारता दिखानी चाहिए. मामले को धर्मनिरपेक्षता के आधार पर तय नहीं किया जा सकता. सरकार को वर्दी के रंग के हिसाब से हिजाब पहनने की अनुमति देनी चाहिए. अनुमति लेनी होगी. परीक्षा समाप्त होने तक अनुमति देनी होगी. इसके बाद वे मामले पर फैसला ले सकते हैं.