वाराणसी. गंगा के पानी में मिलते शैवाल अब जिला प्रशासन के लिए चिंता का समय बन गया है. इसके लिए जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने पुलिस प्रशासन, प्रदूषण बोर्ड और गंगा प्रदूषण के अधिकारियों की एक 5 सदस्यीय टीम बनाई गई है और तीन दिन के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया है. वहीं, गंगा नदी में पाए जाने वाले हरे शैवाल के कारणों का भी पता लगाया जा रहा है.
इस मामले को लेकर अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सहायक पुलिस आयुक्त दशाश्वमेघ, अधिशासी अभियंता बंधी प्रखंड और महाप्रबंधक गंगा प्रदूषण नियंत्रण की पांच सदस्यीय टीम बनाई गयी हैं. इस टीम ने मंगलवार को घाट पहुंचकर शैवाल वाले पानी के नमूने को इकट्ठा कर लिया है.
यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि बीते 15 से 20 दिनों से गंगा में हरे शैवाल मिल रहे है. जहां एक ओर बनारस के गंगा घाट के पानी मे शैवाल दिखाई दे रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर कानपुर से लेकर प्रयागराज और मिर्जापुर में देखा गया तो पता चला कि बनारस की सीमा में पानी का बदला हुआ रंग हरे शैवाल (Algae) के कारण हुआ है.
जानकारी के मुताबिक, विभाग के रीजनल ऑफिसर को सोनभद्र से इस समस्या का फीडबैक मिला है, जिसमें मिर्जापुर के अपस्ट्रीम में हरे शैवाल की मात्रा थोड़ी कम पाई गई है, जबकि डाउनस्ट्रीम और चुनार में ज्यादा मिले हैं.
इन्ही सब कारणों से पानी में फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ गई और तापमान भी 25 डिग्री से अधिक होने पर ग्रीन एलगी का फॉर्मेशन हो रहा हैं. फिलहाल, कालिका सिंह का कहना कि गंगा का पानी स्नान आदि कार्य करने के योग्य नहीं है.