लखनऊ: यूपी में विधानसभा चुनाव का दौर जारी है. वहीं चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी को होना है. चौथे चरण में राजधानी लखनऊ समेत यूपी के 9 जििलों की 59 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इस चरण में रोहिलखंड से तराई बेल्ट और अवध क्षेत्र के 624 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद होगी.
वहीं, लखनऊ की सियासत में काफी समय से बीजेपी का दबदबा रहा है. 1991 से 2004 तक लगातार लखनऊ सीट से अटल बिहारी वाजपेयी सांसद रहे. उनके बाद यहां से केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सांसद हैं. लखनऊ की दूसरी ग्रामीण सीट मोहनलालगंज सीट से केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर सांसद हैं. इसके अलावा योगी सरकार में लखनऊ से 5 मंत्री हैं. ऐसे में बीजेपी ने अपने सियासी किले को बचाए रखने के लिए मौजूदा 3 विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरे उतारे हैं, तो एक मंत्री की सीट बदली है. आइए जानतें है लखनऊ के सभी विधानसभा सीटों के सियासी गुणा-भोग को……
बता दें कि लखनऊ कैंट बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. इस सीट पर बीजेपी ने अपने विधायक सुरेश तिवारी की जगह बृजेश पाठक को उतारा है, तो सपा ने राजू गांधी को प्रत्याशी बना रखा है. बीएसपी ने ब्राह्मण व्यवसायी अनिल पांडेय को, तो कांग्रेस से सिख समुदाय के दिलप्रीत सिंह विर्क को मैदान में है. यहां के सियासी समीकरण के लिहाज से ब्राह्मण सबसे ज्यादा है, तो सिंधी और मुस्लिम भी काफी है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि लखनऊ कैंट सीट पर क्या परिणाम होगा.
सरोजनी नगर सीट पर ठाकुर बनाम ब्राह्मण
वहीं लखनऊ की हाई प्रोफाइल सीट सरोजनी नगर सीट पर मुकाबला ठाकुर बनाम ब्राह्मण का है. बीजेपी इस सीट पर मौजूदा विधायक स्वाति सिंह का टिकट काटकर ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह को उतारा है, जिनके सामने सपा ने पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. कांग्रेस से बबलू सिंह को तो बसपा ने जलीस खान को मैदान में उतारा है. मुस्लिम और दलित वोट बैंक के सहारे जीत के लिए बसपा मैदान में तो सपा ने यादव-ब्राह्मण-मुस्लिम समीकरण के सहारे है. बीजेपी इस सीट पर ठाकुर और शहरी वोटों के सहारे जीत की उम्मीद लगाए है.राजेश्वर सिंह और अभिषेक मिश्रा के चलते ब्राह्मण बनाम ठाकुर के बीच सियासी वर्चस्व की जंग हो रही.
लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट पर कांटे की टक्कर
इसके अलावा लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट पर कांटे की टक्कर है, हालांकि ये सीट बीजेपी की गढ़ मानी जाती है. यहां 1991 से लेकर 2017 तक बीजेपी जीत दर्ज करती आ रही है. बीजेपी से आशुतोष टंडन एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं, तो सपा ने अनुराग भदौरिया को उतारा है. कांग्रेस ने छात्र नेता रहे मनोज तिवारी और बीएसपी के टिकट पर आशीष सिन्हा ताल ठोक रहे हैं. यहां के सियासी समीकरण को देखें तो ब्राह्मण, ठाकुर और दलित वोटर लगभग बराबर हैं, जबकि मुस्लिम 42 हजार, 25 यादव और 35 हजार कायस्थ वोटर निर्णायक माने जाते हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए इस सीट पर अपने जीत के सिलसिले को बरकरार रखने की चुनौती है जबकि सपा सेंधमारी के लिए बेताब है.
आपको बता दें कि राजधानी लखनऊ में कुल 9 विधानसभा सीट हैं. लखनऊ पूर्व, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ मध्य, लखनऊ कैंट, लखनऊ उत्तर, बख्शी का तालाब, सरोजनीनगर, महिलाबाद और मोहनलालगंज हैं. 2017 के चुनाव में सपा ने मोहनलालगंज सीट जीती थी, जबकि बाकी आठों सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था. इस बार के बदले हुए सियासी माहौल में बीजेपी के लिए लखनऊ में अपने पुराने प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है.