नोएडा(UP): उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के नतीजे लगभग आ चुके हैं. वहीं सूबे में अब फिर से बीजेपी की वापसी तय है. वहीं रुझानों के अनुसार बीजेपी अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है और 250 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी ‘नोएडा का मिथक’ कही जाने वाली धारणाओं को धराशायी कर चुके हैं.
यूपी में फिर से योगी सरकार
बता दें कि एक ओर जहां योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर शहर सीट से जीत दर्ज कर ली है, तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी गौतमबुद्ध नगर जिले की सभी तीन सीटें अपनी झोली में डालती दिख रही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह भी नोएडा से बंपर जीत दर्ज कर चुके हैं. बता दें कि इस जिले में नोएडा, दादरी और जेवर विधान सभा क्षेत्र आते हैं.
तीन दशकों से ऐसा कहा जाता रहा है कि गौतमबुद्ध नगर जिले में नोएडा का दौरा करने वाला उत्तर प्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री सत्ता में वापस नहीं आता.
मायावती गंवा चुकी हैं सत्ता
बता दें कि मायावती ग्रेटर नोएडा के बादलपुर गांव से संबंध रखती हैं. इससे पहले, उनके पूर्ववर्ती और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव, भाजपा के राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह अपने मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल के दौरान नोएडा आए ही नहीं. साल 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव ने व्यक्तिगत रूप से नोएडा न आने के सिलसिले को बरकरार रखा.
अखिलेश भी हार चुके चुनाव
अखिलेश यादव साल 2013 में नोएडा में हुए एशियाई विकास बैंक सम्मेलन में शरीक नहीं हुए थे. उस सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य अतिथि थे.
साल 2017 में उत्तर प्रदेश की कमान संभालने वाले आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद से दर्जनों बार नोएडा का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने नोएडा में मेट्रो के उद्घाटन के अलावा कई अन्य परियोजनाओं की शुरुआत की. जनवरी में उन्होंने गौतमबुद्ध नगर पहुंचकर कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की थी.
फिर से यूपी में बीजेपी की सरकार
ऐसे में इस बार योगी आदित्यनाथ नोएडा आने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दोबारा काबिज होने जा रहे हैं, तो इस बार नोएडा को लेकर चला आ रहा मिथक टूट चुका है.
इसके अलावा योगी आदित्यनाथ पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे, जो 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता में आ रहे हैं. यूपी के इतिहास में अब तक ऐसा नहीं हुआ है. इससे पहले यूपी में कई मुख्यमंत्री दोबारा सत्ता में आ चुके हैं, लेकिन उनमें से किसी ने पहले 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया था. इनमें संपूर्णानंद, हेमवती नंदन बहुगुणा और चंद्र भानू गुप्ता के नाम शामिल हैं.