वाराणसी: भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर आए हैं. इससे पहले उन्होंने अघोषित तौर पर अपना काबुल दौरा किया था और इसके बाद सीधे भारत दौरे पर दिल्ली पहुंच चुके हैं. लद्दाख सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच 15 दौर की बातचीत हो चुकी है और ऐसे में चीन के विदेश मंत्री का यह दौरा कई मायनों में अहम है.
भारत दौरे पर चीन के विदेश मंत्री
बता दें कि साल 2020 की गलवान घटना के बाद भारत और चीन के बीच यह उच्च स्तरीय लेवल की पहली यात्रा है. भारत सरकार की ओर से चीन के विदेश मंत्री के दौरे को लेकर अब तक कोई ऑफिशियल बयान नहीं आया है. जानकारी के मुताबिक वांग यी शुक्रवार को अपने समकक्ष एस जयशंकर और NSA अजीत डोभाल से मुलाकात कर सकते हैं.
बता दें कि OIC बैठक में भाग लेते हुए चीनी विदेश मंत्री ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर हमने एक बार फिर कई इस्लामी दोस्तों की पुकार सुनी है. चीन समान आकांक्षाओं को साझा करता है. वांग ने कहा कि चीन का मानना है कि कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक ठीक और शांतिपूर्वक हल किया जाना चाहिए.
भारत ने खारिज किया चीन का बयान
चीन के इस बयान में भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी और भारत ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बयान को खारिज करते हुए, इसे गैरजरूरी करार दिया और जोर देकर कहा कि अन्य देशों के पास भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी कर दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.
चीनी विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार सुबह अचानक काबुल पहुंचे थे, उनके इस दौरे को लेकर भी पहले से कोई घोषणा नहीं की गई थी. अगस्त में तालिबान का काबुल पर कब्जा होने के बाद वांग की यह यात्रा किसी वरिष्ठ चीनी नेता द्वारा की गई पहली यात्रा थी. वह इस्लामाबाद की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पूरी करने के ठीक बाद काबुल पहुंचे थे.