कलकत्ता (पश्चिम बंगाल): पूर्व केंद्रीय मंत्री व बंगाल में बीजेपी के बड़े नेता बाबुल सुप्रियो ने शनिवार को राजनीति से अलविदा ले लिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर कहा है कि वे राजनीति में सिर्फ समाज सेवा के लिए आए थे. अब उन्होंने अपनी राह बदलने का फैसला लिया है.
उन्होंने कहा है कि लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में रहने की जरूरत नहीं है. वे राजनीति से अलग होकर भी अपने उस उदेश्य को पूरा कर सकते हैं. उनकी तरफ से इस बात पर भी जोर दिया गया है कि वे हमेशा से बीजेपी का ही हिस्सा रहे हैं और रहेंगे. वे कहते हैं कि उनके इस फैसले को ‘वो’ समझ जाएंगे.
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से बाबुल सुप्रियो की चुप्पी और बीजेपी में उनकी कम होती भूमिका पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे थे. काफी दिनों से अटकलें लगाई जा रही थी कि बाबुल कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. अब अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन तमाम विवादों पर भी बाबुल ने विस्तार से बात की है. उन्होंने कहा है कि पार्टी संग मेरे कुछ मतभेद थे. वो बातें चुनाव से पहले ही सभी के सामने आ चुकी थीं. हार के लिए मैं भी जिम्मेदारी लेता हूं, लेकिन दूसरे नेता भी जिम्मेदार हैं.
लंबे समय से पार्टी छोड़ना चाहते थे बाबुल
बाबुल ने इस बात का भी जिक्र किया है कि वे लंबे समय से पार्टी छोड़ना चाहते थे. लेकिन बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के रोकने की वजह से उन्होंने अपने उस फैसले को हर बार वापस लिया. उनके कुछ नेताओं संग मतभेद भी होने शुरू हो गए थे और तमाम विवाद भी जनता के सामने आ रहे थे, ऐसे में उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला ले लिया.
हाल ही में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में भी बाबुल को जगह नहीं दी गई थी. उन्हें उनके पद से इस्तीफा देना पड़ा था. सोशल मीडिया पोस्ट पर उन्होंने इस बारे में भी लिखा है.
बंगाल में बीजेपी की बढ़ती ताकत पर बाबुल ने दी ये राय
बंगाल में बीजेपी की बढ़ती ताकत पर बाबुल ने कहा है कि अब पार्टी के पास कई नेता मौजूद हैं, नौजवान भी हैं और दिग्गज भी साथ खड़े हैं. ऐसे में अगर कोई अब पार्टी छोड़ भी देता है तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है. उनके मुताबिक, जब उन्होंने बंगाल में बीजेपी से जुड़ने का निर्णय लिया, तब यहां पर बीजेपी की स्थिति बिल्कुल सही नहीं थी. वे अकेले एक बड़ा चेहरा थे. लेकिन अब 2019 के बाद से बीजेपी इस राज्य में प्रधान विरोधी पार्टी बन उभरी है.
बाबुल ने अपनी पोस्ट के अंत में भावुक अंदाज में कहा है कि 1992 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की नौकरी छोड़कर मुंबई भागते वक्त जो किया था, अब फिर मैंने वहीं किया है.