देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद को मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग करना भरी पड़ गया है. कांग्रेस ने अनुशासन तोड़ने के आरोप में उन्हें 6 साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाल दिया है. कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि पार्टी के हर कार्यकर्ताओं को संवेदनशील मुद्दों पर सोच समझकर बोलना चाहिए. खासकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को संवेदनशील मुद्दों पर कम बोलना चाहिए जिससे पार्टी को नुकसान ना हो.
कांग्रेस की हार की रही प्रमुख वजह
बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस हार की समीक्षा करने के बाद कांग्रेस लीडरशिप भी इस बात को स्वीकार कर रही है कि चुनाव में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा कांग्रेस के लिए हार की प्रमुख वजह बनी. दरअसल चुनाव से ठीक पहले सहसपुर से दावेदारी कर रहे अकील अहमद के मुस्लिम यूनिवर्सिटी वाले बयान से कांग्रेस सियासी माहौल ही बदल गया. जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे को चुनावी मुद्दा बना दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने चुनावी संबोधन में इस मुद्दे का जिक्र कर कांग्रेस को घेरा था. जबकि पूर्व सीएम हरीश रावत इस पूरे प्रकरण से अपना कोई संबंध न होने का दावा करते रहे.
वहीं कुछ दिन पहले उत्तराखंड में मिली हार के कारणों को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एक समीक्षा बैठक भी किए थे. जिसमें मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा भी उठा था. कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक अविनाश पांडेय ने भी माना था कि भाजपा के इस मुद्दे को तूल देने से कांग्रेस को चुनाव में नुकसान हुआ. इस मामले में कांग्रेस के बड़े नेता भी एक-दूसरे को निशाने पर लेने से चूक नहीं रहे हैं. हाल ही में आकिल अहमद ने रुड़की में पत्रकारों से बातचीत में पार्टी की हार का कारण कुछ और बताते हुए कहा था कि कांग्रेस इस मुद्दे के कारण नहीं, बल्कि अपनी गलतियों से चुनाव हारी.